ऐ काल चक्र बस बता दो इतना
यह युग कैसा आया है.......।।
कांप रही है मातृभूमि
मानव से मानव करताया है,
रक्तपात कर रहा है उतना
जितना दान नहीं कर पाया है,
ऐ काल चक्र बस बता दो इतना
यह युग कैसा आया है.........!!
गोली की बौछारों से
सीना छलनी हो आया है,
मासूमों को मृत्यु देकर
दुर्दम ने जशन मनाया है,
ऐ काल चक्र बस बता दो इतना
यह युग कैसा आया है............!!
धर्म का जैसे नाश हो गया,
बस अधर्म की छाया है,
मुंह में कहता राम - राम
और बगल में छुरी लाया है,
ऐ काल चक्र बस बता दो इतना
यह युग कैसा आया है .........!!
सतयुग से द्वापर युग तक
माँ गंगा का गुण गाया है,
आज अधर्मित है समाज
गंगा को भी बद कर आया है,
ऐ काल चक्र बस बता दो इतना
यह युग कैसा आया है.........!!
क्षत-विक्षत हो गया है दिल
कांटो की राह चल आया है,
छुरी - कटार - तलवारों के
भीषण काले युग का साया है,
ऐ काल चक्र बस बता दो इतना
यह युग कैसा आया है.........!!
क्या यही काल की लीला है
जिससे पार कोई नहीं पाया है,
इसको कहते है कलयुग ?
इससे नवयुग भी घबराया है,
ऐ काल चक्र बस बता दो इतना
यह युग कैसा आया है..........!!
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