Thursday, July 30, 2020

क्या होता है और कैसे बनता है टाइम कैप्सूल, क्या सच में यह अयोध्या के राम मंदिर 200 फिट नीचे लगाया जाएगा । आइए जानते है ।

जैसा कि सभी लोगो को पता है 5 अगस्त को राम मंदिर का भूमि पूजन है। राम मंदिर के नींव के 200 फिट नीचे टाइम कैप्सूल रखने की बात सामने आई है , जिससे मंदिर का  इतिहास सुरक्षित रहेगा। हर कोई टाइम कैप्सूल को लेकर उत्साहित है और ज्यादा से ज्यादा टाइम कैप्सूल के बारे में जानना चाहता है 


यह हम आपको बताएंगे क्या होता है टाइम कैप्सूल और क्या ये राम मंदिर के 200 फिट नीचे लगाया जाएगा। आइए जाने इससे पहले  कब लगाया गया था देश में टाइम कैप्सूल।

क्या होता है टाइम कैप्सूल ?

टाइम कैप्सूल टैंकर या कंटेनर  की तरह होता है जिसे बहुत ही मजबूत  सामग्रियों से बनाया जाता है यह इतना मजबूत होता है कि हर तरह के मौसम का सामना कर सकता है। टाइम कैप्सूल को जमीन की गहराई के नीचे रखा जाता है।

लगभग 200 फिट की गहराई के बावजूद भी सैकड़ों - हजारों वर्षों तक ना तो इसमें कोई दिक्कत आती है और ना ही ये सड़ता गलता है धरती के अंदर काफी उथल पुथल के बावजूद टाइम कैप्सूल को कोई नुक्सान नहीं होता 

टाइम कैप्सूल टैंकर या कंटेनर  की तरह होता है और यह लगभग 3 फुट  लंबा होता है। इसे विशेष प्रकार के तांबे(कॉपर)  से बनता है जिसकी वजह से यह किसी भी प्रकृति की आपदा को झेल सकता है,  जब इसे सैकड़ों हजारों साल बाद निकाला जाता है तो सारे दस्तावेज सुरक्षित रहते है।

2017 में मिला था अब तक का सबसे पुराना टाइम कैप्सूल
30 नवंबर 2017 को फ्रांस के बर्गोस में करीब 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल मिला था। यह यीशु मशिह के आकार का था जिसमें सं 1777 इस्वी की आर्थिक , राजनीतिक और  संस्कृति के दस्तावेज मिले थे।  इससे पुराना कोई टाइम कैप्सूल नहीं मिला।

टाइम कैप्सूल को दफनाने की क्या वजह होती है 

टाइम कैप्सूल को दफना कर किसी समाज ,काल और संस्कृति को सुरक्षित रखा जाता है। ताकि आने वाली पीढ़ी पिछले समय  के इतिहास को जान सके।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी टाइम कैप्सूल दफनाने का आरोप लगा था  

प्रधानमंत्री जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब 2011 में विपक्ष ने टाइम कैप्सूल दफनाने का आरोप लगाए था गांधी नगर में निर्मित  महात्मा मंदिर के नीचे टाइम कैप्सूल दफनाने का आरोप था।

इंद्रा गांधी ने भी दफनाया था टाइम कैप्सूल

अगर अयोध्या में राम मंदिर के नीचे टाइम कैप्सूल दफनाया गया तो ये कोई पहला मामला नहीं होगा इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंद्रा गांधी भी ऐसा कर चुकी है।
इंद्रा गांधी ने 15 अगस्त 1973 को लाल किला के पास जमीन के नीचे टाइम कैप्सूल दफनाया गया था । बाद में 1977 कांग्रेस के सत्ता गवाने के बाद तत्कालीन सरकार ने इस टाइम कैप्सूल को निकलवा दिया था। 

 

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